Citizenship Amendment Bill-2019 Explained in Hindi: आज 9-दिसम्बर,2019 को देश के गृहमंत्री श्री अमित शाह जी ने नागरिकता संशोधन बिल-2019 को लोकसभा में प्रस्तुत किया है. इस बिल को केंद्रीय कैबिनेट की मंजूरी पहले ही मिल चुकी है. पूरे देश में इस बिल की चर्चा हो रही है, कुछ लोग इसके समर्थन में बात कर रहे हैं तो वही कुछ लोगों ने इस बिल को लेकर अपनी चिंताएं व्यक्त की हैं.
आज इस पोस्ट में हम Citizenship Amendment Bill -2023 से जुड़ीं पूरी जानकारी आप को देंगे. नागरिकता बिल के इतिहास और इसमें संशोधन को लेकर हो रहे विवाद के बारे में भी पूरी जानकारी आपको इस पोस्ट में मिलेगी.
नागरिकता संशोधन बिल (Citizenship Amendment Bill-2019) क्या है?
नागरिकता संशोधन बिल-2019, भारतीय नागरिकता अधिनियम- 1955 में एक संशोधन के रूप में प्रस्तुत किया गया है. इस बिल के पास होने के बाद बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफग़ानिस्तान से आने वाले 6 अल्पसंख्यक समुदायों को भारतीय नागरिकता देने के नियमों में बदलाव किया गया है.
नागरिकता संशोधन बिल-2023 के बारे में प्रमुख बिंदु
- The Citizenship (Amendment) Bill-2019 बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफग़ानिस्तान से आने वाले 6 अल्पसंख्यक समुदायों को भारतीय नागरिकता देने के नियमों में बदलाव करता है. वो छः अल्पसंख्यक समुदाय हैं – हिन्दू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई (Christians). ऊपर दिए गए तीन देशों से आए मुस्लिमों को यह बिल नागरिकता देने से रोकता है.
- यह संशोधन देश की नागरिकता हासिल करने के लिए आवश्यक भारत में रहने की अवधि को 11 साल से घटाकर 6 साल करने का प्रस्ताव रखता है.
- इस संशोधन के बाद नागरिकता अधिनियम – 1955 में नागरिकता को लेकर स्पष्ट कानून जोड़े जाने का भी प्रावधान है.
इस बिल को बीजेपी सरकार ने सबसे पहले 2016 में लोकसभा में प्रस्तुत किया था जिसे Citizenship Amendment Bill-2016 के नाम से जाना जाता है. लोकसभा ने इस बिल को संसद की संयुक्त कमिटी को भेज दिया था. Joint Parliamentary Committee ने 7-जनवरी-2019 को इसकी रिपोर्ट सौंप दी थी. अगले दिन ही ये बिल लोकसभा में पास भी हो गया था लेकिन कुछ कारणों से इसे राज्यसभा में पेश नहीं किया गया था. इस वजह से इस बिल को अब दोबारा से लोकसभा और राज्यसभा में पेश किया जा रहा है.
क्या कहता है (Citizenship Act. 1955) भारतीय नागरिकता अधिनियम -1955?
भारतीय नागरिकता अधिनियम -1955 किसी भी अन्य देश के नागरिकता अधिनियम की तरह ही एक सामान्य एक्ट है जिसके अनुसार तय होता है कि किसे भारत का नागरिक माना जाएगा और किसे नहीं.
इस एक्ट के अनुसार कोई भी व्यक्ति जिसका या उसके माता-पिता का जन्म भारत में हुआ हो और वो कम से कम 11 सालों से भारत का स्थायी रहवासी हो उसे भारत का नागरिक माना जाएगा. बाहर से आने वाले लोगों के लिए यह नियम तभी मान्य है अगर वो पूरी तरह से वैध रूप में भारत में प्रवेश किये हों और उनके पास सभी जरूरी क़ागज़ात मौजूद हों.
ऐसे लोग जो वैध डाक्यूमेंट्स के बिना ही भारत में प्रवेश किये हैं और उनके पास जरूरी कागज़ात जैसे कि वीज़ा, पासपोर्ट आदि नहीं हैं तो उन्हें घुसपैठिया माना जाएगा. ग़ैरक़ानूनी तौर पर भारत में रुकने वाले लोगों को यहाँ की नागरिकता नहीं दी जाती है चाहे वो 11 साल की अवधि से ज्यादा समय से इंडिया में रह रहे हों. Illegal migrants (घुसपैठिये) को या तो जेल में डाल दिया जाता है या फिर उन्हें उनके देश वापस भेज दिया जाता है.
Citizenship Amendment Bill-2019 को लेकर क्या विवाद है?
नागरिकता संशोधन बिल को लेकर संसद और देश में लगातार चर्चा हो रही है. विपक्ष इस बिल का विरोध कर रहा है, उनके अनुसार यह बिल भारतीय संविधान के मूल विचार का उल्लंघन करता है. क्योंकि यह बिल बंग्लादेश, पाकिस्तान और अफ़गानिस्तान से आए मुस्लिमों को नागरिकता नहीं देता है, इसलिए इसे अल्पसंख्यक विरोधी और एक ख़ास धर्म को टारगेट करने वाला बताया जा रहा है. विपक्ष के अनुसार नागरिकता एक्ट में यह संशोधन संविधान के आर्टिकल-14 का उल्लंघन करता है. आर्टिकल-14 सभी नागरिकों को समानता का अधिकार देता है.
CAB या फिर नागरिकता संशोधन बिल को लोकसभा और राज्यसभा दोनों सदनों ने पास कर दिया है और राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद अब यह एक क़ानून बन गया है. इसे अब Citizenship Amendment Act – 2019 (नागरिकता संशोधन अधिनियम 2019) के नाम से जाना जाएगा.
इस पोस्ट में हमने आपको नागरिकता संशोधन बिल (Citizenship Amendment Bill-2019) से जुड़ी सारी जानकारी सरल रूप से हिन्दी भाषा में उपलब्ध कराई है. उम्मीद है अब आपके इस बिल के बारे में सभी सवालों के जबाब मिल गए होंगे. अगर आपके मन में इस पोस्ट से जुड़ा कोई भी सवाल है तो आप कमेंट सेक्शन में पूछ सकते हैं. समय-समय पर हम इस पोस्ट को अपडेट करते रहंगे.